सुंदरनगर नगर परिषद पर पार्षद ने लगाए धांधली के आरोप
दो साल के कालखंड में सुंदरनगर नप में हुई करोडों धांधली
शहरी विकास विभाग को भेजा 12 सूत्रिय आरोप पत्र @Next2News Himachal
हिमाचल प्रदेश की सबसे बडी जिला मंडी सुंदरनगर की नगर परिषद के पार्षद शिव सिंह ने नगर परिषद पर करोडो की धांधली के गंभीर आरोप लगाए है। शहरी विकास विभाग के निदेशक को भेजे 17 सूत्रिय शिकायत में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने दो साल के कालखंड में नगर परिषद के चेयरमैन और कार्यकारी अधिकारी पर मिलीभगत कर नियमों को दरकिनार कर धांधली के आरोप जडे है। पार्षद ने कथित तौर पर एक जमीनी विवाद को लेकर नगर परिषद पर यह मोर्चा खोला है।
पार्षद शिव सिंह सेन ने आरोप में कहा कि स्टैंडिंग कमेटी व वार्ड समिति की मंजूरी के बिना से मनमानी कर निर्माण कार्यों के टेंडर में धांधलियां और मिलीभगत कर अतिक्रमण, फर्जी कर्मचारी की नियुक्ति के मामले में दस्तावेज सौंप कर उच्च स्तरीय कार्रवाई की मांग है। उन्होंने कहा कि वर्तमान नगर परिषद को बने हुए लगभग 2 वर्ष का समय पूरा होने जा रहा है। नगर परिषद के चेयरमैन और कार्यकारी अधिकारी द्वारा नगरपालिका अधिनियम व उप विधियों को दरकिनार कर कार्य किए हैं।
मामले मेें कई बार चेयरमैन व कार्यकारी अधिकारी को लिखित तथा मौखिक भी शिकायत की है।
1. नगरपालिका अधिनियम की धारा 49 के प्रावधान की अनुपालना में नगर परिषद द्वारा 09.02.2021 को प्रस्ताव संख्या 6/2021 को 3 स्टैंडिंग कमेटियों का गठन किया है। स्टैंडिंग कमेटियों के निष्पादन के लिए उप-विधियो की विभिन्न धाराओं में जो प्रावधान है, कार्यकारी अधिकारी तथा अध्यक्ष द्वारा कोई भी अनुपालना नहीं की जा रही है। दो वर्ष में स्टैंडिंग कमेटियों की न कोई भी बैठक की गई और न नगर परिषद के निर्माण व फाइनेंस से संबंधित कार्य निपटाए। नगर पालिका अधिनियम की धारा 51 की विभिन्न धाराओं में गठित वार्ड सभा तथा वार्ड समितियों की आज तक ग्राम सभा का आयोजन नहीं हुआ।
2. वर्तमान कार्यकारी अधिकारी ने आउट सोर्स व अन्य स्कीम में तैनात कर्मचारी की हाजिरी रजिस्टर में धांधली के प्रमाण सलंगन है।
3. निर्माण कार्यों तथा सप्लाईयों के एक ही कार्य को तोडकर छोटे-छोटे एस्टीमेट बना कर एक ही कार्य को 2 या दो से अधिक प्राक्कलन तैयार करके अपने चहेतों को टैंडर का आवंटन किया गया है।
4. निर्माण कार्यों के टेंडर जिस स्थान के लिए किए गए, उन निर्माण कार्यों को वहां से हटाकर दूसरे स्थान पर कर दिया जाता है। कार्यकारी अधिकारी द्वारा दोबारा टेंडर नहीं करवा कर इस प्रकार के विषयों को नगर परिषद के प्रस्ताव में डालकर उन्हें पारित करवा दिया जाता हैं।
नियमों के विरुद्ध कई निर्माण कार्यों में 10 प्रतिशत से अधिक डेविएशन पाए जाने पर उसे कार्यकारी अधिकारी द्वारा सदन में रखकर प्रस्ताव पारित कर डाला और भुगतान भी किया जा रहा है। चहेतों को आवंटित टेंडर के तय सीमा में न काम हुए और न ही एग्रीमेंट के अनुसार पेनल्टी डाली गई।
5. परिषद के द्वारा सहारा प्रदान करने के लिए बने रैहन बसेरा की मुरम्मत पर लाखों रुपया खर्च करके वर्तमान कार्यकारी अधिकारी द्वारा स्वयं की रिहाइश बना कर रखी है। जबकि नगरपालिका अधिनियम की धारा 305 के अंतर्गत कार्यकारी अधिकारी ने नियमों के विरूद प्रस्ताव पारित किया गया है।
6. नगर परिषद में एक सेवानिवृत्त कर्मी को बिना किसी डिप्लोमा के कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति दी गई। इनके सभी कार्यों की एम.बी. ( डमंेनतमउमदज ठववा) तथा अन्य संबंधित रिकॉर्ड की जांच की जाए। बिना डिप्लोमा होल्डर कनिष्ठ अभियंता द्वारा वर्क रजिस्टर और दूसरे संबंधित रिकॉर्ड जोकि म्युनिसिपल अकाउंट कोड के अंतर्गत तैयार किए जाने चाहिए, कोई भी तैयार नहीं किए गए हैं।
7. ज्वाहर पार्क में हरी घास को लेकर आरोप लगाया कि लाखों रुपए खर्च के इस कार्य को करने का न ही नगर परिषद से कोई प्रस्ताव पारित हुआ है और न ही संबंधित स्टैंडिंग कमेटी या वार्ड समिति से पारित करवाया गया है अर्थात नियमों की धज्जियां उडाते हुए अपनी मनमर्जी से इस कार्य को करवाया जा रहा है।
8. कार्यकारी अधिकारी द्वारा पार्षदों व स्थानीय नागरिकों के शिकायतों पर न कार्रवाई की जा रही है औरजबाव दिया जाता है। पार्षद को नगर परिषद के क्रियाकलाप से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड मांगने पर तथा सूचना मांगने पर भी नहीं दी जाती है। धांधली व रिकॉर्ड पर पर्दा डाला जाता है।
9. नगर परिषद द्वारा पारित बजट में मदों के प्रावधान के अनुसार कोई भी कार्य नहीं किया जा रहा है। न ही नगर पालिका अधिनियम के अंतर्गत सप्लीमेंट्री बजट तैयार किया गया है।
10. निजी हिमाचल डेंटल कॉलेज के हॉस्टल निर्माण के निर्माण में तत्कालिक कार्यकारी अधिकारी की मिलीभगती से नगर परिषद की भूमि पर अवैध कब्जा किया गया। स्थानीय लोगों के बच्चों को दफनाने के स्थान पर, तथा लोगों की भूमि को जाने वाले ट्रैक्टर रोड पर भी कब्जा किया गया है। जनवरी 2019 से इसकी शिकायत प्रशासन को तथा नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी सहित 1100 नंबर पर की गई है। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण उसमें भी प्रशासन तथा नगर परिषद द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
11. मनरेगा के सभी निर्माण कार्यों के लिए न तो कोई प्राक्कलन तैयार किए न तकनीकी स्वीकृति व न इन विषयों को वार्ड समितियों से पारित करवाया गया है। मनरेगा में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन भी अदा नहीं किया।
12. प्रॉपर्टी टैक्सेशन से संबंधित बाइलॉज का नोटिफिकेशन नियमों को ताक पर रखकर किया है। उसकी पूर्ण प्रक्रिया जानबूझकर कार्यकारी अधिकारी द्वारा नहीं की गई है।
क्या कहते है नप अधिकारी
नगर परिषद के चेयरमैन जितेंद्र शर्मा ने आरोपों को सीरे से खारिज करते हुए कहा कि आरोप निराधार और बेवजह है। उन्होंने कहा कि पार्षद महोदय के उच्च न्यायलय में विचाराधीन एक जमीनी विवाद के कारण नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी पर आरोप लगाए जा रहे है।
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