शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूट रहे निजी स्कूल निजी स्कूलों की लूट मार से बचाए मुख्यमंत्री

 शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूट रहे निजी स्कूल 

निजी स्कूलों की लूट मार से बचाए मुख्यमंत्री

जिला स्तरीय रजिस्टर्ड संगठन पेरेंट्स एसोसिएशन ने सीएम से की मांग 

वादे मुताबिक निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाए मुख्यमंत्री  

डेढ़ वर्ष बीत जाने बाद भी अभिवावकों को नही मिली कोई राहत 

सुंदरनगर 25 दिसम्बर

नेक्स्ट न्यूज ब्यूरो 

पेरेंटस एसोसिएशन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मांग की है कि वह अपनी घोषणा मुताबिक निजी स्कूल में पढऩे वाले बच्चो के अभिवावको को स्कूल प्रबंधन की मनमानी से राहत प्रदान करवाई जाए। जिला स्तरीय रजिस्टर्ड संगठन पेरेंट्स एसोसिएशन सेंट मैरी के प्रधान अश्वनी सैनी ने कहा कि शिक्षा के नाम पर अभिभावकों को लूट रहे निजी स्कूल, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री जयराम से निजी स्कूलों की मनमानी पर सरकार तुरन्त रोक लगाने की मांग की है। एसोसिएशन ने कहा कि अभी तक बड़े नामी स्कूल जो कि चैरिटेबल ट्रस्ट व संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे है, उनके द्वारा कोविड काल के दो वर्ष में एक पैसे की राहत अभिवावकों की नही दी है। 



एसोसिएशन ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषण मुताबिक आज तक ना हुआ दि हिमाचल प्रदेश प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन रेगुलेशन एक्ट 1977 में महत्वपूर्ण संसोधन और ना ही राहत मिल पाई है। अभिवावक पैरेंट्स कोविड 19 के शुरुआती दौर से प्राइवेट स्कूलों द्वारा जबरदस्ती लिए जा रहे वार्षिक शुल्क व मनमानी के विरोध में प्रदेश भर में आवाज बुलंद करते आए है। लेकिन सरकार व प्रसाशन निजी शिक्षण संस्थाओं के संदर्भ में कोई ठोस कानून व नियम ना होने के चलते लगातार बेबस नजर आ रही है। कोई भी ठोस फैसला लेने में सक्षम नही दिख है। हालांकि कुछ माह पूर्व सरकार ने निजी स्कूलों की नकेल कसने को आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक ला कर बड़ा फैसला लेंने की बात कही गई। लेकिन सरकार इस मामले में बैक फुट पर आ गई और महत्वपूर्ण संसोधन को पुन: टाल दिया था। एसोसिएशन ने एक्ट में संसोधन, स्कूलों की फीस तय करने के मानक, एडमिशन व वार्षिक शुल्क प्रथम वर्ष के अलावा ना हो, ट्यूशन फीस के अलावा प्रतिवर्ष अन्य कोई चार्जेज ना लिए जाए, नियमों की अवहेलना पर निजी स्कूलों के खिलाफ  कड़ी कार्यवाही का प्रावधान, वर्दी व किताबो के लिए नियम, स्कूल प्रबंधन द्वारा वर्दी व किताबो पर बिक्री पर रोक, पीटीए व एसएमसी का संवैधानिक तरीके से गठन, कोरोना काल में राज्य के स्कूल जब तक पूर्ण रूप से खुल नही जाते है, ऐसे में ली गई एडमिशन फीस व वार्षिक फीस पूर्णतया रोक, इस दौर की वसूल की वार्षिक फीस को आगामी मासिक फीस में एडजस्ट करने, प्रति वर्ष फीस वृद्धि, एडमिशन फीस के नाम पर गेम फीस, सेलिब्रेशन फीस, लाइब्रेरी फीस, साइंस लैब फीस, कम्प्यूटर फीस, डिजिटल क्लास फीस, मासिक सॉफ्टवेयर चार्जेज पर रोक लगाने सबंधित कानून बना कर नोटिफिकेशन जारी किए जाए। उन्होंने कहा कि छात्र अभिवावक मंच के राज्य संयोजक  विजेंद्र मेहरा के अनुसार हाईकोर्ट के फैसले मुताबिक निजी स्कूलों द्वारा वार्षिक फीस वसूलना गैर कानूनी है। मुख्यमंत्री वायदे मुताबिक निजी एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन रेगुलेशन एक्ट 1977 में महत्वपूर्ण संसोधन कर अभिवावकों को निजी स्कूलों की लूट मार से बचाए।

...अंसारी 

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